भारत निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़ सहित देश के 12 राज्यो में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रारंभ।

सोशल एक्टिविस्ट तरुण खटकर की कलम से
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने देश की मतदाता सूचियों को त्रुटिहीन और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (Special Intensive Revision – SIR) के दूसरे चरण की शुरुआत की आधिकारिक शुरुवात कर दी गई है। यह सामान्य वार्षिक पुनरीक्षण से अलग एक गहन और जमीनी स्तर का अभ्यास है, जिसे दशकों के अंतराल के बाद किया जा रहा है (पिछला SIR 2002-2004 के बीच हुआ था)।
🔍 SIR क्या है और इसका उद्देश्य
SIR एक ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ कार्यक्रम है जिसका मुख्य लक्ष्य मतदाता सूची की पवित्रता सुनिश्चित करना है। इसका प्राथमिक उद्देश्य मतदाता सूची से दोहरे नाम, मृत, पलायन कर चुके और अपात्र/अवैध मतदाताओं के नाम हटाना है, साथ ही सभी नए और पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ना है।
प्रक्रिया: इसमें बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे और मौजूदा मतदाताओं से प्रगणन फॉर्म (Enumeration Forms) भरवाएंगे।
आधार रोल: सत्यापन के दौरान मतदाताओं के विवरण का मिलान 2002-2004 के दौरान की गई अंतिम गहन पुनरीक्षण सूची (Base Roll) से किया जाएगा।
बिहार में SIR पूर्ण होने के बाद, दूसरे चरण में देश के 51 करोड़ मतदाताओं को कवर किया जाएगा।
राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश जहां SIR प्रारंभ
1. उत्तर प्रदेश 7. केरल
2. पश्चिम बंगाल 8. गुजरात
3. मध्य प्रदेश 9. गोवा
4. छत्तीसगढ़ 10. पुडुचेरी
5. तमिलनाडु 11. लक्षद्वीप
6. राजस्थान 12. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष (2026) विधानसभा चुनाव होने हैं।
SIR का निर्धारित कार्यक्रम
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा घोषित SIR 2.0 का कार्यक्रम निम्नलिखित चरणों में चलेगा:
चरण अवधि*
*वोटर लिस्ट फ्रीज अक्टूबर 27, 2025 (रात 12 बजे से)*
प्रशिक्षण और फॉर्म प्रिंटिंग* अक्टूबर 28 से नवंबर 3, 2025
घर-घर गणना (BLO द्वारा)*
नवंबर 4 से दिसंबर 4, 2025
प्रारूप मतदाता सूची का प्रकाशन दिसंबर 9, 2025 आपत्तियों की सुनवाई और सत्यापन दिसंबर 9, 2025 से जनवरी 31, 2026 अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन फरवरी 7, 2026
*राजनीतिक प्रतिक्रिया और आयोग का पक्ष*
इस व्यापक अभियान की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
*विपक्षी दलों का विरोध:* कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस अभियान को ‘वोट चोरी’ का प्रयास बताया है। उनका आरोप है कि यह सरकार के इशारे पर लाखों पात्र मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं और वंचित वर्गों के नाम मतदाता सूची से हटाने की एक साजिश है, जैसा कि उन्होंने बिहार में हुए SIR के दौरान बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने पर चिंता जताई थी।
*आयोग का पक्ष:* निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। आयोग का कहना है कि वह केवल अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहा है और इसका एकमात्र उद्देश्य मतदाता सूची की पवित्रता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है। पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इस बार नोटिस अवधि और सुनवाई प्रक्रिया को अधिक स्पष्ट किया गया है।
*निष्कर्ष: लोकतंत्र के लिए सतर्कता ज़रूरी*
यह SIR भारतीय चुनाव प्रक्रिया में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है, जिसका देश की चुनावी अखंडता और लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर सीधा असर पड़ेगा।इसलिए इस व्यापक अभियान का मुख्य लक्ष्य मतदाता सूची को त्रुटिहीन और पारदर्शी बनाना होना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी योग्य मतदाता छूट न जाए और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो। इसलिए, इस पूरे अभ्यास के दौरान सभी राजनीतिक दलों, मीडिया और नागरिक समाज की सतर्कता अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।

संपादक सिद्धार्थ न्यूज़
