रोम-रोम में रमे राम: छत्तीसगढ़ के रामनामी समुदाय की अद्वितीय भक्ति – तरुण खटकर।

तरुण खटकर की कलम से , 02 अगस्त 2025 । छत्तीसगढ़ की धरती अपने सांस्कृतिक वैभव और विविधता के लिए जानी जाती है। इसी विविधता में एक अनूठा रंग भरता है रामनामी समुदाय भगवान राम के प्रति अपनी अद्वितीय और गहरी भक्ति के लिए पहचाना जाता है। इस समुदाय के रोम-रोम में, तन-मन में भगवान राम इस कदर समाए हुए हैं कि उनका जीवन ही राममय प्रतीत होता है।
रामनामी समुदाय की भक्ति किसी साधारण आस्था से कहीं बढ़कर है। यह उनके जीवन का अभिन्न अंग है, उनकी पहचान है। इस भक्ति का सबसे अनूठा और प्रत्यक्ष प्रमाण है उनके शरीर पर गुदा हुआ राम नाम। बच्चे से लेकर बूढ़े तक, हर रामनामी के शरीर पर ‘राम’ नाम के अनगिनत गोदना (टैटू )दिखाई देते हैं। माथे पर, छाती पर, बाहों पर, और किसी -किसी के पूरे शरीर पर राम नाम अंकित होता है। यह मात्र एक प्रथा नहीं, बल्कि उनके अटूट विश्वास और समर्पण का जीवंत प्रतीक है। उनके लिए, यह गोदना (टैटू) किसी आभूषण से बढ़कर हैं, जो उन्हें हर पल भगवान राम से जोड़े रखते हैं।
उनकी भक्ति केवल शरीर पर राम नाम गुदवाने तक ही सीमित नहीं है। रामनामी समुदाय के लोग सादा जीवन जीते हैं और अपनी दिनचर्या में भगवान राम के नाम का जाप करते रहते हैं। वे विशेष प्रकार की सफेद वस्त्र धारण करते हैं, जिस पर राम नाम लिखा होता है। उनके भजन और कीर्तन में केवल राम की महिमा गाई जाती है। उनकी बोलचाल में भी अक्सर ‘राम राम’ का संबोधन सहजता से सुनाई देता है।
इस अनूठी भक्ति के पीछे एक गहरा सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ भी है। माना जाता है कि सदियों पहले, जब मंदिरों के द्वार दलितों के लिए बंद थे, तब इस समुदाय ने भगवान राम को अपने हृदय में स्थापित किया। उन्होंने अपने शरीर को ही मंदिर बना लिया और राम नाम को अपने जीवन का सार। यह उनकी सामाजिक सीमाओं और भेदभाव के खिलाफ एक मौन लेकिन शक्तिशाली आध्यात्मिक विद्रोह भी था। भगवान राम, जो स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम और सभी के प्रति समभाव रखने वाले माने जाते हैं, इस समुदाय के लिए मुक्ति और समानता के प्रतीक बन गए।रामनामी समुदाय की श्रद्धा इतनी गहरी है कि वे किसी आडंबर या दिखावे में विश्वास नहीं रखते। उनकी भक्ति अत्यंत निजी और आंतरिक है। वे मंदिरों में जाने की बजाय अपने घरों में ही राम की आराधना करते हैं। उनके लिए, भगवान राम हर जगह व्याप्त हैं, कण-कण में रोम -रोम मे बसे हैं। उनकी यह अटूट आस्था उन्हें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देती है और एक अटूट मानसिक शांति प्रदान करती है।उनकी भक्ति की शक्ति का अनुभव उनके मेलों और सम्मेलनों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। दूर-दूर से रामनामी एकत्र होते हैं, राम नाम के भजन गाते हैं, और एक-दूसरे के साथ अपने विश्वास और अनुभवों को साझा करते हैं। इन आयोजनों में उनकी सामूहिक श्रद्धा और भगवान राम के प्रति उनका अटूट बंधन जीवंत हो उठता है।
छत्तीसगढ़ का रामनामी समुदाय वास्तव में एक प्रेरणास्रोत है। उनकी भक्ति दिखाती है कि भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण किसी भी सामाजिक बंधन या भेदभाव से परे हो सकता है। उनके तन-मन में रमे राम न केवल उनकी आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि सच्ची भक्ति हृदय की गहराई से उपजती है और उसका प्रभाव जीवन के हर पहलू पर दिखाई देता है। यह समुदाय आज भी अपनी अनूठी भक्ति परंपरा को जीवित रखे हुए है और भगवान राम के प्रति अपने अटूट बंधन को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा रहा है।

संपादक सिद्धार्थ न्यूज़
