December 6, 2025

सीहोर में विश्व आदिवासी दिवस पर उल्लास और क्रांतिकारी जोश के साथ मनाया गया।

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सीहोर (म प्र) / सिद्धार्थ न्यूज/ नीलकांत खटकर । 9 अगस्त 2025 को मध्य प्रदेश के सीहोर में विश्व आदिवासी/मूलनिवासी दिवस क्रांतिकारी जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। हजारों की संख्या में विशाल जन समूह की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम में आदिवासी समाज के नेतृत्वकारी पदाधिकारियों ने अपनी बात को शिद्दत से रखी। इस अवसर पर आयोजित आमसभा में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों – रवि सोलंकी,दिलीप तडवी,सचिन जामोद,सुरेन्द्र धुर्वे, लाड सिंह कटारिया, कृष्णा सूर्यवंशी ,नर्म बारेला,प्रकृति सोलंकी,सुरेश कानोजा आदि ने अपने विचार साझा किए और आदिवासी समाज के ऐतिहासिक संघर्षों को रेखांकित किया। जाति उन्मूलन आंदोलन और आदिवासी भारत महासभा की ओर से कॉमरेड तुहिन, जन संघर्ष समन्वय समिति, मध्य प्रदेश के कॉमरेड विजय, क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (RCF) के राज्य संयोजक कॉमरेड फहीम सरफरोश, और अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन (AIRWO) की ओर से कॉमरेड स्मृति ने आमसभा को संबोधित किया। आमसभा का संचालन अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन (AIRSO) के राज्य संयोजक कॉमरेड संदीप कलाम,अनीता बारेला और कैलाश जमरे ने किया।

आमसभा में आदिवासी लोक सांस्कृतिक दलों ने अपनी आकर्षक प्रस्तुतियों से उपस्थित जनसमूह का मन मोह लिया। इन प्रस्तुतियों ने आदिवासी संस्कृति की समृद्धि और जीवंतता को प्रदर्शित किया।कार्यक्रम में क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के साथी अमर स्मृति,संध्या प्रजापति,फहीम सरफरोश द्वारा क्रांतिकारी साहित्य के प्रचार प्रसार हेतु बुकस्टॉल लगाया गया था। कॉमरेड तुहिन और कॉमरेड विजय ने अपने संबोधन में आदिवासी समाज के ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि ब्रिटिश साम्राज्यवाद और उसके देशी दलाल पूंजीपतियों व सामंतवाद के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज ने सबसे अधिक बलिदान दिया। यह सिलसिला 18वीं शताब्दी में अमर शहीद बाबा तिलका मांझी से शुरू होकर संथाल हूल विद्रोह के सिद्धू, कानू, चांद, भैरव, फूलो-झुनो, बिरसा मुंडा के उलगुलान विद्रोह, छत्तीसगढ़ के वीर नारायण सिंह, बस्तर के गुण्डाधुर, आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू, नागालैंड की रानी गाइडलों, बंगाल के चूआड विद्रोह, और मध्य प्रदेश के टांटिया भील जैसे असंख्य विद्रोहों में दिखाई देता है।

वक्ताओं ने मौजूदा दौर में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि RSS और उसके वैचारिक आधार मनुवाद के मार्गदर्शन में संचालित भाजपा सरकार के पिछले 11 वर्षों में कॉरपोरेट घरानों द्वारा जल, जंगल, और जमीन की बेशुमार लूट ने आदिवासियों को विकास के नाम पर विनाश की ओर धकेल दिया है। RSS जो मनुस्मृति के आधार पर आदिवासियों को मानव का दर्जा न देकर उन्हें “वनवासी” कहता है, और अदानी-अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों की लठैत बनकर काम करता है, आदिवासियों का सबसे बड़ा दुश्मन है। आमसभा में यह संकल्प लिया गया कि RSS के शताब्दी वर्ष में भगवा कॉरपोरेट फासीवाद के खिलाफ मेहनतकश जनता, दलित, उत्पीड़ित, आदिवासी, महिलाएं, और अल्पसंख्यक एकजुट होकर निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे। यह संघर्ष सिद्धू, कानू, फूलो-झुनो और बिरसा मुंडा के सपनों को साकार करते हुए शोषणमुक्त और समतावादी भारत के निर्माण के लिए होगा। आयोजकों की ओर से यह अपील की गई कि सभी न्यायप्रिय जनता इस संघर्ष में शामिल हों और आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता प्रदर्शित करें।

 

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