जीवन: काश पर नहीं, आश पर टिका है….तरुण खटकर।
जीवन की यात्रा एक ऐसी नदी के समान है जो हमेशा आगे की ओर बहती है। इस यात्रा में कई मोड़ आते हैं, कुछ सुखद तो कुछ दुखद। अक्सर, जब हम किसी दुखद या कठिन परिस्थिति का सामना करते हैं, तो हमारे मन में एक शब्द बार-बार आता है:
“काश”। काश मैंने यह किया होता, काश ऐसा नहीं हुआ होता, काश मैं उस समय वहां नहीं होता। यह ‘काश’ एक बोझ की तरह होता है, जो हमें बीते हुए कल की ज़ंजीरों में जकड़ लेता है और हमें आगे बढ़ने से रोकता है।
‘काश’ शब्द हमें पीछे की ओर खींचता है, हमें उन अवसरों या फैसलों पर पछताने के लिए मजबूर करता है जिन्हें हम बदल नहीं सकते। यह एक निराशावादी सोच को जन्म देता है, जो हमें वर्तमान में जीने और भविष्य की योजना बनाने से रोकती है। जब हम ‘काश’ की दलदल में फंस जाते हैं, तो हमारा पूरा ध्यान उन बातों पर केंद्रित हो जाता है जो हमारे नियंत्रण में नहीं थीं, और हम जीवन की सुंदरता को देखना भूल जाते हैं। यह स्थिति उस व्यक्ति की तरह है जो बारिश की बूंदों को कोस रहा है, जबकि वह यह नहीं देख रहा कि उस बारिश के बाद कितना सुंदर इंद्रधनुष निकल सकता है।
इसके विपरीत, ‘आश’ यानी आशा, एक रोशनी की किरण है जो हमें सबसे अंधेरी सुरंग में भी रास्ता दिखाती है। आशा हमें विश्वास दिलाती है कि भले ही आज का दिन मुश्किल हो, कल बेहतर हो सकता है। यह हमें वर्तमान में जीने और भविष्य की ओर देखने की शक्ति देती है। जब हम ‘आश’ की डाल पर जीवित रहते हैं, तो हम विफलताओं को अंत नहीं, बल्कि सीखने का एक अवसर मानते हैं। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी गलतियों से सीखें, अपने आप को माफ़ करें और एक नई शुरुआत करें।
जीवन काश पर नहीं, बल्कि आश की डाल पर ही जीवित रहता है, क्योंकि आशा हमें हिम्मत देती है। यह हमें सिखाती है कि हम अपनी गलतियों से भागने के बजाय उनका सामना करें। आशा हमें यह भी बताती है कि हर अंत एक नई शुरुआत का मौका लेकर आता है। किसी भी महान व्यक्ति की सफलता की कहानी देख लीजिए, वह ‘काश’ से नहीं बल्कि ‘आश’ की ताकत से लिखी गई है। उन्होंने कई बार ठोकर खाई, पर हर बार आशा के सहारे फिर से खड़े हो गए।
तो, अपने जीवन को ‘काश’ के बोझ से मुक्त करें और ‘आश’ के पंखों पर उड़ना सीखें। अपने बीते हुए कल को सबक मानकर भूल जाएं और अपने भविष्य की ओर आशा की नजर से देखें। क्योंकि जीवन का असली सार बीते हुए कल में नहीं, बल्कि आने वाले कल की उम्मीद में है।

संपादक सिद्धार्थ न्यूज़
