December 5, 2025

आशा निकेतन वृद्धा आश्रम कुधरी में विधिक जागरूकता शिविर का किया आयोजन।

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।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

सारंगढ़ बिलाईगढ़ 19 नवंबर 2025 । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ के अध्यक्ष जिला न्यायाधीश जितेंद्र कुमार जैन के आदेश अनुसार एवं सचिव अंकिता मुदलियार के मार्गदर्शन में एवं तालुका विधिक सेवा समिति सारंगढ़ के अध्यक्ष कु. राधिका सैनी के नेतृत्व में दिनांक 17/11/2025 को आशा निकेतन वृद्धा आश्रम कुधरी में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमे बताया गया कि माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 भरण माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक सुरक्षा देना। यह सुनिश्चित करना कि उनकी आवश्यकताओं की उपेक्षा न हो और परिवार या राज्य द्वारा उचित सहायता मिल सके। इस अधिनियम के तहत ये आते हैं :-माता-पिता (जन्मदाता, दत्तक या सौतेले),वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष या उससे अधिक आयु)संतान एवं वारिस (जैविक, दत्तक, सौतेले, दामाद, बहू सहित),भरण-पोषण का अधिकार :-वरिष्ठ नागरिक और माता-पिता अपने बच्चों या कानूनी वारिसों से भोजन, आवास, दवा, देखभाल और दैनिक आवश्यकताओं के लिए भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं। यदि वे स्वयं अपना पालन-पोषण नहीं कर सकते, तो संतान व वारिसों का कानूनी दायित्व है कि वे सहायता करें।माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों को निसहाय व्यस्था में भरण-पोषण पाने का अधिकार होगा।

वृद्धाश्रम की स्थापना एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष प्रावधान भरण-पोषण न्यायाधिकरण :- यह जिला स्तर पर गठित होता है।

किसी भी वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता को न्याय के लिए यहाँ आवेदन करना होता है।प्रक्रिया सरल और त्वरित होती है।बुजुर्ग नागरिक या माता-पिता स्वयं आकर आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।आवेदन कैसे करें :-वरिष्ठ नागरिक स्वयं आवेदन कर सकते हैं।किसी अन्य व्यक्ति को भी उनकी ओर से आवेदन करने की अनुमति होती है।वरिष्ठ नागरिक संगठन या NGO के द्वारा भी आवेदन कर सकते हैं। आदेश (Order) :-न्यायाधिकरण संतान एवं वारिस को हर महीने निर्धारित भरण-पोषण राशि देने का आदेश दे सकता है।अधिकतम मासिक राशि राज्य सरकार द्वारा तय सीमा तक हो सकती है। आदेश का पालन न करने पर दंड का प्रावधान है-आदेश का पालन न करने पर संतान व वारिस को तीन महीने तक का कारावास हो सकता है।जब तक राशि नहीं दी जाती, जमानत नहीं मिलेगी ।परित्याग पर प्रतिबंध -संतान एवं वारिस अपने माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों को छोड़ नहीं सकते या उनकी उपेक्षा नहीं कर सकते। ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई संभव है। वरिष्ठ नागरिकों की संपत्ति की सुरक्षा यदि संतान माता-पिता की संपत्ति का लाभ ले रहे हों पर उनकी देखभाल न कर रहे हों, तो संपत्ति या उसका हिस्सा वापस लिया जा सकता है। वरिष्ठ नागरिकों की चिकित्सीय देख-रेख – वरिष्ठ नागरिकों के लिए पृथक पंक्तियों की व्यवस्था की जाएगी।सरकारी अस्पताल या सरकार द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित अस्पताल, सभी वरिष्ठ नागरिकों को, यथासंभव, बिस्तर प्रदान करेंगे। चिकित्सीय देख रेख व गंभीर बिमारियों का ईलाज सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क किया जाऐगा।वृद्धाश्रम की व्यवस्था राज्य सरकार 60 वर्ष से अधिक आयु के जरुरतमंद बरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धाश्रम स्थापित करती है।यहाँ रहने, चिकित्सा और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।अपील का अधिकार :-न्यायाधिकरण के निर्णय के खिलाफ अपील का प्रावधान है।अपील की अवधि आदेश की तारीख से 60 दिन।अधिनियम का महत्व – वृद्धजनों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। परिवार में जिम्मेदारी और सम्मान की भावना बनाए रखता है।बुजुगों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।संदेश -अपने माता-पिता और बुजुगाँ का सम्मान करे। उनकी देखभाल सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, हमारा कर्तव्य और संस्कार है। जानकारी प्रदान की गई |इसके अतिरिक्त विधिक जानकारी एवं जागरूकता प्रदान की गई |पी एल वी नरेश कुमार थाना भटगांव, पी एल वी कामदेव अनंत थाना सरसिंवा , पी एल वी रजनी निराला थाना सारंगढ़,कुल 20 व्यक्तियों में 09 पुरूष और 11 महिला लाभान्वित हुए।

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