December 4, 2025

एस सी एस टी के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति की आय सीमा बढ़ाने की मांग।

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।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

रायपुर 30 अक्टूबर 2025 । एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ने एस सी एस टी के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति की आय सीमा बढ़ाने की मांग की है। इस वर्ग को वर्तमान में दिए जा रहे आय सीमा पर संगठन ने कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार नवरंग और उप प्रांताध्यक्ष भोलाराम मरकाम ने कहा कि देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में अग्रसर है लेकिन देश की अनुसूचित जाति और जनजाति की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आय सीमा 8 लाख रुपये निर्धारित की गई है, जबकि गरीब अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए यह सीमा मात्र ढाई लाख रुपये है जो न्यायसंगत नहीं कही जा सकती।इनका कहना है कि आज़ादी के 78 वर्ष बाद भी इन वर्गो की आय सीमा में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक न्याय और समान अवसर का वादा अभी अधूरा है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से जारी विज्ञापन में सत्र 2025-26 के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने हेतु उनके माता-पिता या अभिभावकों की वार्षिक आय सीमा 2 लाख 50 हजार रुपये से अधिक नहीं होने की शर्त रखी गई है। इस योजना के अंतर्गत 2,500 से 13,500 रुपये तक का अकादमिक भत्ता दिए जाने की बात कही गई है। इस विज्ञापन पर गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ने कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार नवरंग और उप प्रांताध्यक्ष भोलाराम मरकाम ने कहा कि देश जब विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब 22 प्रतिशत अनुसूचित जाति और जनजाति आबादी को आज भी पुरानी आय सीमा के कारण सरकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि 185 से अधिक सांसदों की उपस्थिति के बावजूद आज़ादी के 78 साल बाद भी यह स्थिति बनी रहना गंभीर चिंता का विषय है।

संगठन के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती संगीता पाटले, प्रदेश सचिव राधेश्याम टंडन और एवन बंजारे ने कहा कि सरकार जहां आर्थिक आधार पर 8 लाख रुपये की आय सीमा वाले 3 प्रतिशत EWS वर्ग को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ दे रही है, वहीं 22 प्रतिशत अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को मात्र 2.5 लाख रुपये की सीमा के कारण इन योजनाओं से वंचित कर रही है। आज की स्थिति में चतुर्थ श्रेणी, संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की वार्षिक आय दो लाख रुपये से अधिक हो जाती है, जिसके कारण वे किसी भी योजना के पात्र नहीं रह जाते। परिणामस्वरूप उनके बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि अधिक फीस होने के कारण वे आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाते।

गवर्नमेंट एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन, छत्तीसगढ़ के प्रदेश सचिव नरेंद्र जांगड़े, महामंत्री सनत, बसंत बंजारे, दिनेश जोशी, एम. के. राणा, दिनेश बर्वे, बसंत जांगड़े, चेतन चतुर्वेदी, नरसिंह मंडावी और परस अंचल ने भारत सरकार से मांग की है कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आय सीमा को बढ़ाकर 15 लाख रुपये किया जाए। उन्होंने प्रदेश के सभी विधायकों, सांसदों, जनप्रतिनिधियों और समाज के प्रमुख लोगों से इस विषय पर आवाज बुलंद करने, पत्र लिखने और सामूहिक रूप से प्रयास करने की अपील की है।संगठन ने कहा कि यदि वास्तव में अमृत महोत्सव और 2047 के विकसित भारत का सपना साकार करना है, तो सामाजिक न्याय और अधिकार को केंद्र में रखकर एस सी,एस टी और ओ बी सी वर्ग की आय सीमा 15 लाख रुपये तक बढ़ाने का संकल्प लेना होगा।

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