June 27, 2025

कांशीराम साहब की जयंती पर विशेष…छ.ग प्रदेश बसपा प्रभारी एवं केंद्रीय स्टेट कोऑर्डिनेटर लता गेडाम ने देशवासियों को बधाईयां दी।

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  • रायपुर / भिलाई छ ग । 14 मार्च 2025। बामसेफ, डीएस-4 एवं बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक बहुजन नायक कांशीराम साहब की 91 वीं जयंती आगामी 15 मार्च को है। बहुजन नायक की जयंती पूरे देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर बसपा प्रभारी एवं केंद्रीय स्टेट कोऑर्डिनेटर लता गेडाम ने कोटि- कोटि नमन करते हुए देशवासियों को बधाईयां दी हैं।

बहुजन नायक कांशीराम के कुछ विचार जो समाज के हर वर्ग को प्रेरित करता रहेगा।

“जिनका लक्ष्य निर्धारित होता है उन्हें लोगों की बातों का असर नहीं होता और जिन्हें लोगों की बातों का असर होने लगे तो वह कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता”।

. लक्ष्य “सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के आंदोलन” को कामयाब बनाने के लिए हमें ऐसे सिपाही तैयार करना है जो-

• न बिकनेवाला न गुमराह होने वाला, न विचलित होने वाला हो।

• बिना किंतु परंतु किए पार्टी के दिशा निर्देश को 100 % इमानदारी और निष्ठा से फालो करने वाला हो

• विषम से विषम परिस्थितियों में भी जिनका मिशन के प्रति विश्वास कमजोर न हो पाए।

• जो बिना रुके, बिना गुमराह हुए, बिना भटके अपने नेता के निर्देश पर हमेशा चलते रहें ।

• स्पीड कम हो या ज्यादा हो मतलब उससे नहीं है मतलब यह है कि वह हमेशा अपने नेतृत्व व अपनी पार्टी के प्रति सकारात्मक सोच रखें।

• कौन क्या करता है? इसकी चिंता किए बिना, मैं इस आंदोलन में क्या कर सकता हूं ? मेरी क्या भूमिका है यह बात बहुत मायने रखती है।

• जिसे अपनी नैतिक जिम्मेदारी का एहसास हो और वह कभी भटकाव की तरफ न जाए।

• जिसे अपने आंदोलन और अपने आप पर भरोसा है वही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

• मैं करूंगा तो इसका लाभ मुझे ही मिलना चाहिए ऐसी सोच वाले व्यक्ति को स्वार्थी कहा जाता है ऐसे लोगों की हमें जरूरत नहीं है ।

•”जितना बड़ा लक्ष्य उतना ही अधिक संघर्ष “।स्वयं के अस्तित्व को मिटाकर समाज का वजूद बनाने का जज्बा रखने वाले लोग ही मिशन को कामयाब बनाने में मदद कर सकते हैं ।

लता गेडाम ने कहा कि मान्यवर साहब हमेशा कहते थे कि आप जिस काम को करने वाले हैं उस लक्ष्य को अच्छी तरह समझ लें । समझ करके उस लक्ष्य को पूरा करने का साधन तय करे क्योंकि बिना साधन के आप अपने साध्य/ लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर सकते। उस साधन के साथ चलें और लक्ष्य प्राप्ति तक संघर्ष करें या फिर अपने जीवन के अंतिम क्षण तक रूके बिना सतत् संघर्ष करते रहे,उन्हें ही महामानव कहते हैं । ऐसे ही लोगों का नाम इतिहास में दर्ज होता है और आने वाली कई पीढ़ियां उनके नाम व काम को मिटने नही देती। बिना कुर्बानी दिए आप समाज को कुछ नहीं दे सकते।

इन्हीं सब बिंदुओं को गंभीरता पूर्वक लेते हुए आत्मसात करके काम करेंगे तो समाज के लिए कुछ कर पाएंगे और सफल भी होंगे।

 

 

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