June 27, 2025

बिलाईगढ़ विकासखंड में राशन वितरण प्रणाली बुरी तरह से चरमराया। खाद्य निरीक्षक की लापरवाही के कारण राशन दुकान के स्टॉक का भौतिक सत्यापन भी नही हो पा रहा है।

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।। सिद्धार्थ न्यूज से नीलकांत खटकर।।

 

सारंगढ़ / बिलाईगढ़ 27 मार्च 2025 । विकासखंड बिलाईगढ़ में राशन वितरण प्रणाली बुरी तरह से चरमरा चुका है इसके पश्चात भी शासन प्रशासन द्वारा जरा भी रुचि नहीं लिया जा रहा है। नियमानुसार प्रतिमाह एक से पांच तारीख तक राशन वितरण अनिवार्य रूप से किया जाना है लेकिन किसी भी उपभोक्ता दुकान में यह सुचारू रूप से नहीं चल रहा है बल्कि प्रतिमाह के 15 तारीख के बाद ही राशन वितरण किया जा रहा है। खाद्य विभाग द्वारा भोले भाले उपभोक्ता को बिना चावल वितरण कराए बिना अंगूठा लगवाकर वितरण दिखा दिया जाता और बाद मे माह के 15 तारीख के बाद चावल वितरण कराया जाता है। जिसमे माह जनवरी में फरवरी के प्राप्त आबंटन को वितरण किया जा रहा है। इस प्रकार के व्यवस्था के पीछे राशन दुकान में चावल की स्टॉक की कमी है खाद्य विभाग को वर्ष में कम से कम एक से दो बार प्रत्येक दुकान के स्टॉक का भौतिक सत्यापन करने का प्रावधान है लेकिन खाद्य निरीक्षक के लापरवाही के कारण राशन दुकान के स्टॉक का भौतिक सत्यापन नही हो पा रहा है। जिसमे किस दुकान में राशन सामग्री का कितना कमी है इसका कोई लेखा जोखा नहीं है खाद्य विभाग के नियमानुसार जितना कमी है उतना कटौती करके आगामी माह आबंटन भेजने का प्रावधान है जिसका पालन नही किया जा रहा है।

खाद्य विभाग की उदासीनता और आपसी लेनी देनी के चक्कर में कार्डधारियों को परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में विकास खंड बिलाईगढ़ में लगभग 133 राशन दुकान संचालित है। जिसमे तत्कालीन खाद्य निरीक्षक के साठ गांठ में फसकर 75 प्रतिशत विक्रेताओं ने बिना चावल प्राप्त के ही चावल प्राप्ति के डिलीवरी पावती कागज में हस्ताक्षर कर दिए है। माह अक्टूबर 2022 में किसी विक्रेता ने 100 क्विंटल तो किसी ने 150 क्विंटल के डिलिवरी पावती कागज में हस्ताक्षर कर दिए है जिसमें अधिकांश दुकान में सीधा सीधा 100 से 150 क्विंटल के चावल का कमी हो गया है। जिसका जिम्मेदार अब विक्रेताओं के ऊपर आ गया है। इस प्रकार के गड़बड़ी में लगभग 15 ट्रक चावल का हेरा फेरी हुआ है जिसका सत्ता परिवर्तन के साथ साथ कार्यवाही का अनुमान था जो आज तक नहीं हो पाया है तत्कालीन खाद्य निरीक्षक जो अनेकों घटना के लिए चर्चित रहे उनके द्वारा पूर्व विधायक हवाला देकर किसी भी राशन दुकान को किसी व्यक्ति या समूह को बिना विधिवत कार्यवाही के सौंप दिया गया जो बिना अग्रीमेंट के आज भी संचालित है। जिसका आज तक परीक्षण नहीं हो पाया है। रोचक तथ्य तो यह है कि मुफ्त के राशन वितरण योजना का जिला मुख्यालय के समय सीमा बैठक में भी समीक्षा नहीं किया जाता है जबकि जांच टीम गठित करके प्रत्येक दुकान के कमी का जांच करके कार्यवाही की आवश्यकता होती है। आम उपभोक्ता को प्रतिमाह 1 से 5 तारीख तक सरलता से राशन वितरण की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। जिस विक्रेता द्वारा लापरवाही पूर्वक क्रियाकलाप करके राशन सामग्री का हेरा फेरा करके राशन सामग्री में कमी किया उससे वसूली की कार्यवाही करने की आवश्यकता है।

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