मनरेगा: सिर्फ रोजगार की गारंटी नहीं, देश के सबसे कमजोर वर्ग के लिए एक संजीवनी……….तरुण खटकर।

।। सोशल एक्टिविस्ट तरुण खटकर की कलम से।।
रायपुर 26 मई 2025 । यह तस्वीर मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों की है। मजदूर हमारे समाज का वह वर्ग जो अक्सर सबसे कमजोर और हाशिए पर होता है। इनके जीवन में किसी भी त्रासदी, किसी भी संकट, किसी भी विपत्ति का सबसे ज्यादा असर होता है। बाढ़ हो या सूखा, महामारी हो या आर्थिक मंदी, इनकी रोजी-रोटी पर सबसे पहले खतरा मंडराता है ऐसे कठिन समय में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) इनके लिए सिर्फ एक रोजगार योजना नहीं बल्कि एक संजीवनी की तरह है। मनरेगा ग्रामीण भारत के गरीब और जरूरतमंद परिवारों को साल में कम से कम 100 दिनों का गारंटीड रोजगार प्रदान करता है। यह न केवल उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को भी बढ़ाता है। जब दैनिक मजदूर को कमाने की गारंटी मिलता है, तो वे अपने परिवार का भरण-पोषण बेहतर ढंग से कर पाते हैं, बच्चों को स्कूल भेज पाते हैं और अन्य जरूरी सेवाओं तक उनकी पहुंच सुधरती है।
यह अधिनियम सिर्फ गड्ढे खोदने या सड़क बनाने तक ही सीमित नहीं है। मनरेगा के तहत जल संरक्षण, भूमि विकास, वृक्षारोपण जैसे अनेक कार्य किए जाते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों के पर्यावरण और बुनियादी ढांचे को भी मजबूत करते हैं। इस प्रकार, यह अधिनियम न केवल तात्कालिक रोजगार प्रदान करती है, बल्कि दीर्घकालिक विकास में भी योगदान देती है। हालांकि, मनरेगा को लेकर कुछ चुनौतियां भी हैं। मजदूरी का तत्काल भुगतान न होना, भ्रष्टाचार, और पर्याप्त काम की उपलब्धता के साथ मनरेगा कर्मचारियों के स्थायीकरण ऐसी अनेक समस्याएं हैं जिन पर सरकार को ध्यान देना जरूरी है।इस अधिनियम योजना की सफलता में इसके जमीनी स्तर के कर्मचारी रोजगार सहायक डेटा आपरेटर PO,APO एवं विभिन्न स्तर के अधिकारीयों की भूमिका अविस्मरणीय है।ये वे लोग हैं जो धूप बारिश मे दुर्गम क्षेत्रों में जाकर गांवों में मजदूरों का पंजीकरण करते हैं,काम का आबंटन करते है, उपस्थित दर्ज करते हैं भुगतान सुनिश्चित करते हैं और पूरी प्रक्रिया को आनलाइन माध्यम से संचालित करते हैं इनका कार्य केवल तकनीकी नही बल्कि सामाजिक और मानवीय भी है। सरकार को इस मुद्दे पर संवेदनशील और दूरदर्शिता के साथ निर्णय लेकर मनरेगा कर्मचारियों का स्थायीकरण करना चाहिए। यह कदम न केवल कर्मचारियों के जीवन को बेहतर बनाएगा बल्कि मनरेगा को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाएगा।
इन सब के बावजूद यह निर्विवाद सत्य है कि मनरेगा ने लाखों गरीब परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। यह उनके लिए एक सुरक्षा कवच है, जो उन्हें मुश्किल समय में सहारा देता है।आज भी जब हम इस तस्वीर में काम कर रहे मजदूरों को देखते हैं, तो एहसास होता कि मनरेगा सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो समाज के सबसे कमजोर वर्ग मजदूर है। इसलिए यह सरकार की जिम्मेदारी है कि इस योजना अधिनियम को और मजबूत करें, ताकि यह देश के सबसे कमजोर वर्ग के लिए एक संजीवनी बनी रहे।

संपादक सिद्धार्थ न्यूज़