June 26, 2025

छत्तीसगढ़ महतारी के लाल का अपमान: दो गज ज़मीन को तरसता एक जननायक ………तरुण खटकर।

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छत्तीसगढ़ महतारी की कोख में जन्मे अजीत जोगी का नाम, किसी परिचय का मोहताज नहीं। वह नाम जिसने छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्न को साकार किया, जिसने अपनी दूरदृष्टि और अदम्य साहस से इस नवगठित प्रदेश को एक पहचान दी। मगर, विडंबना देखिए कि जिस धरती को उन्होंने अपने जीवन का हर क्षण समर्पित किया, उसी धरती में आज उनकी प्रतिमा दो गज ज़मीन के लिए मोहताज हो रहा है। उनकी मृत्यु के बाद भी, इस जननायक के साथ ऐसी अमानवीयता, यह भेदभाव और यह अपमान, करोड़ों छत्तीसगढ़ियों के हृदय को गहरी पीड़ा पहुंचाता है। एक प्रथम मुख्यमंत्री, जिसने अपने गृह जिले की मिट्टी में जन्म लिया, खेला-कूदा, और जिसे अपने खून-पसीने से सींचा, उसी धरती में अंतिम विश्राम के लिए दो गज ज़मीन पाने हेतु उनकी वयोवृद्ध पत्नी डा रेणु जोगी और पुत्र अमित जोगी को सड़कों पर उतरना पड़े, यह दृश्य हृदय विदारक है। क्या इसी दिन के लिए छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था? क्या इसी दिन के लिए छत्तीसगढ़ के करोड़ों निवासियों ने संघर्ष किया था? यह मात्र अजीत जोगी का अपमान नहीं, बल्कि उन सभी छत्तीसगढ़वासियों का अपमान है, जिन्होंने इस राज्य के निर्माण में अपना योगदान दिया। अजीत जोगी, सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, वे एक जननायक थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ की अस्मिता को जगाया, यहाँ के लोगों को एक नई पहचान दी। उनके कार्यकाल में प्रदेश ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि – हर क्षेत्र में उन्होंने दूरगामी नीतियां बनाईं, जिनका लाभ आज भी प्रदेश की जनता को मिल रहा है।

 

उन्होंने आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के साथ हर वर्ग के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया ।छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान और अस्मिता के वे पर्याय बन गए थे। फिर, ऐसा क्या हुआ कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवन का कण-कण इस प्रदेश के नाम कर दिया, उसे अपनी ही जन्मभूमि में दो गज भूमि के लिए परिवार को संघर्ष करना पड़ रहा है? यह प्रश्न हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमने अपने महापुरुषों के प्रति सम्मान खो दिया है? क्या राजनीतिक द्वेष इतना गहरा हो गया है कि वह मानवीय संवेदनाओं और सांस्कृतिक मूल्यों पर भी हावी हो जाए? आखिर ये अन्याय क्यों यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति के अपमान का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के उन मूल्यों पर गहरा आघात है, जिनके आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य की कल्पना की गई थी।

यह हमें याद दिलाता है कि जब हम अपने ही भविष्य निर्माताओं का सम्मान नहीं कर सकते, तो भविष्य की पीढ़ियों को क्या संदेश देंगे ? अजीत जोगी का संघर्ष, उनका जीवन, उनकी दृढ़ता और छत्तीसगढ़ के प्रति उनका प्रेम, हमेशा अमर रहेगा। लेकिन, उनके प्रतिमा स्थापना को लेकर हुई यह अमानवीयता, छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है।अजीत जोगी के साथ यह भेदभाव, यह अपमान, छत्तीसगढ़ की आत्मा को झकझोर रहा है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में किसी भी जननायक के साथ ऐसी अमानवीयता न हो, और छत्तीसगढ़ महतारी के सपूत अजीत जोगी को, उसकी अपनी धरती में सम्मान के साथ दो गज ज़मीन नसीब हो। तभी छत्तीसगढ़ का गौरव अक्षुण्ण रहेगा।

सोशल एक्टिविस्ट तरुण खटकर

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